Monday, January 25, 2010

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा


सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा
हम बुलबुले है इसकी ये गुलसिता हमारा ॥धृ॥

घुर्बत मे हो अगर हम रहता है दिल वतन मे
समझो वही हमे भी दिल है जहाँ हमारा ॥१॥

परबत वो सब से ऊंचा हमसाय आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबा हमारा ।२॥

गोदी मे खेलती है इसकी हजारो नदिया
गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जना हमारा ।३॥

ए अब रौद गंगा वो दिन है याद तुझको
उतर तेरे किनारे जब कारवाँ हमारा ॥४॥

मझहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना
हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा ॥५॥

युनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिल गये जहाँ से
अब तक मगर है बांकी नामो-निशान हमारा ॥६॥

कुछ बात है की हस्ती मिटती नही हमारी
सदियो रहा है दुश्मन दौर-ए-जमान हमारा ॥७॥

इक़्बाल कोइ मेहरम अपना नही जहाँ मे
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहा हमारा ॥८॥

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Better than the entire world, is our Hindustan;
we are its nightingales of mirth, and it is our garden abode

Though in foreign lands we may reside, with our homeland our hearts abide,
Regard us also to be there, where exist our hearts

That mountain most high, neighbor to the skies;
it is our sentinel; it is our protector

In the lap of whose, play thousands of rivers;
gardens they sustain; the envy-of-the-heavens of ours
O waters of the Ganga mighty, do you recall the day
when on your banks, did land the caravan of ours
Religion does not teach us to harbour grudges between us
Indians we all are; India, our motherland

While Greece, Egypt , Rome have all been wiped out
till now yet remains, this civilization of ours {it has stood the test of time}

Something there is that keeps us,our entity from being eroded
For ages has been our enemy, the way of the world

Iqbal! Is there no soul that could
understand the pain in thy heart?


गणतंत्र दिवस की शुभ-कामनाए

Happy Republic Day



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