Monday, May 24, 2010

राज्यसभा के सहसचिव सुरिंद्र वाट्स फाजिल्का रत्न से सम्मानित

Bhaskar News, Laxman Dost 24th May 2010
क्षेत्र के इतिहास को संजोने और समाजसेवा में अग्रिम संस्था ग्रजूएट्स वेलफेयर (गवफ) एसोसिऐशन ने फाजिल्का क्षेत्र के राज्यसभा के सहसचिव सुरिंद्र वाट्स को फाजिल्कारत्न से सम्मानित किया। डा. भूपिन्द्र सिंह ने बताया कि वाटस का जन्म फाजिल्का में हुआ और उन्होंने सरकारी मुंशी राम कालेज से शिक्षा प्राप्त की। राज्यसभा में 1980 में शुरुआत करने वाले वाट्स ने क्षेत्र का नाम ऊंचाइयों तक पहुंचाया। वह 2009 सहसचिव के पद पर पदोन्नत हुए। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में कश्मीर में हो रही घुसपैठ की रिपोर्ट को भी उनके सामने रखा था। 

इसके अलावा वाटस ने फाजिल्का—अबोहर रेलवे लाइन, टीवी टावर, आईटीआई और सरकारी कालेज में की समस्याओं को दूर करने में अपना अहम सहयोग दिया। दो साल पहले वह गवफ के आह्वान पर राज्यसभा की चमड़ा उद्योग को उत्साहित करने वाली पांच सदस्य सांसद कमेटी को फाजिल्का लेकर आए। इसमें उन्होंने फाजिल्का में लैदर रिसर्च केंद्र व आईटीआई में चमड़ा उद्योग से संबंधित कोर्स शुरू करने की सिफारिश केन्द्र सरकार को भेजी है। इस कमेटी का नेतृत्व पूर्व कपड़ा मंंत्री व सांसद कांशी राम राणा ने किया था। इस कारण आज फाजिल्का क्षेत्र तरक्की की राह पर है। 

इस छोटे शहर में फाजिल्का से दिल्ली के लिए रेल चलाने में भी उनका अहम योगदान रहा है। समाजसेवक सुरिंद्र आहुजा ने बताया कि किसी भी राजनेता ने आज तक फाजिल्का के विकास में कुछ खास योगदान नहीं दिया, जबकि क्षेत्र के लोगों ने शहर के बाहर रहते हुए भी पूर्ण सहयोग दिया है। सुरिंद्र वाटस ने दिल्ली में रहकर भी फाजिल्का को प्यार दिया और इसे तरक्की की राह पर पहुंचाया। इस मौके पर वाटस ने बताया कि वे गवफ के आभारी हैं, जिसने उन्हें स्नेह दिया है। उनका कहना है कि संस्था ने फाजिल्का ईको कैब, कार फ्री जोन, सांझा चूल्हा आदि प्रोजैक्टों से फाजिल्का का नाम रोशन किया है। इस तरह से अन्य संस्थाएं भी कार्य करें तो क्षेत्र ओर भी तरक्की कर सकता है। 

इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष उमेश कुक्कड़, सचिव इंजीनियर नवदीप असीजा, फाजिल्का नालेज सिटी कंपेन के प्रमुख डा. रजनीश कामरा, एडवोकेट जयपाल सिंह संधू, डा. अजय धवन, लैक्चरर व प्रसिद्ध लेखक अश्वनी आहूजा, क्रिकेट के क्षेत्र में फाजिल्का को नई पहचान दिलाने वाले पंकज धमीजा, रवि खुराना आदि मौजूद थे

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