Thursday, July 22, 2010

कबाड़ हो गए लाखों के झूले

15 June 2010
फाजिल्का-पूर्व राज्यसभा सदस्य वीरेंद्र कटारिया के इलाके में नौनिहालों को भेंट की गई सौगात 'चिल्ड्रन पार्क' अब कबाड़खाना बन गया है। इसका मुख्य कारण नगर कौंसिल की अनदेखी है। करीब चार-पांच साल से झूलों को ठीक करवाकर चलाने के दावे करने वाली नगर कौंसिल ने आखिरकार उक्त झूलों को कबाड़ घोषित कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व सांसद वीरेंद्र कटारिया ने संसदीय कोटे से फाजिल्का व अबोहर में दो चिल्ड्रन पार्क बनवाए थे। फाजिल्का के प्रताप बाग में बनाए गए चिल्ड्रन पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए इलेक्ट्रिकल झूले लगाए गए थे, जिन पर करीब आठ लाख रुपये खर्च आया था। इन झूलों की मेंटीनेंस के लिए लोगों से शुल्क भी लिया जाता था। पार्क के प्रति लोगों ने काफी उत्साह भी दिखाया था। लोग अपने बच्चों को पार्क में स्थापित छुक-छुक ट्रेन, कैटर पिल्लर व अन्य झूले पर मनोरंजन के लिए पार्क लाते थे। लेकिन नगर कौंसिल बच्चों के इस सौगात को ज्यादा देर तक संभाल नहीं सकी। धीरे-धीरे पार्क में लगे सभी झूले तकनीकी खराबी के चलते बंद हो गए और पार्क को ताला लगा दिया गया। प्रताप बाग आने वाले बच्चे पिछले पांच साल से ललचाई नजरों से पार्क में लगे झूलों को देखकर ही वापस लौट जाते है।

एक बार सर्दी में अलाव से छुक छुक ट्रेन का बड़ा हिस्सा जल गया। तब भी थोड़ी मरम्मत के बाद झूले चलने की उम्मीद बाकी थी। नगर कौंसिल भी करीब दो साल से प्रस्ताव पारित कर झूलों की मरम्मत पर दो लाख रुपया खर्च कर पार्क का संचालन ठेके पर देने की बात कह रही है। लेकिन न तो किसी ने पार्क का ठेका लिया और न ही कौंसिल ने झूले ठीक करवाए।

इस बारे में जब नगर परिषद अध्यक्ष अनिल सेठी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पार्क में लगे झूले बिल्कुल खराब हो चुके हैं वह सही नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि उन झूलों को बेचकर नए झूले लगाने का प्रबंध किया जाएगा। जब उनसे यह पूछा गया कि नए लगने वाले झूले भी इलेक्ट्रिकल होंगे तो उन्होंने कहा कि यह तो बजट पर निर्भर है।

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