Sunday, September 25, 2011

Heritage Buildings of Fazilka- Punjab Kesri 25.9.11, Firozpur Suppliment

by Subodh Nagpal

फाजिल्का में 27 कालोनियां अनाधिकृत

जागरण संवाददाता, फाजिल्का : आरटीआई कार्यकर्ता अमरनाथ चेतीवल की ओर से आरटीआई एक्ट के तहत बठिडा डवलपमेंट अथारिटी से फाजिल्का व इसके अधीन पड़ते क्षेत्रों में काटी गई कालोनियों संबंधी मागी गई जानकारी के तहत बड़ा खुलासा हुआ है। बीडीए के सूचना अधिकारी ने दी गई जानकारी में स्पष्ट रूप से माना है कि फाजिल्का की 27 कालोनिया अनाधिकृत है। इनको बनाने से पहले किसी प्रकार की कोई स्वीकृति नहीं ली गई है। इन कालोनियों को काटने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

चेतीवाल ने बताया कि उन्होंने बीडीआई से फाजिल्का में काटी गई कालोनियों की स्वीकृति संबंधी जानकारी मागी थी। इस सूचना के तहत उन्हे जानकारी दी गई कि फाजिल्का व इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में काटी गई 27 कालोनिया अनाधिकृत है। बीडीए ने इन 27 कालोनियों को काटने वाले संचालकों के नामों का भी खुलासा किया है। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस अधिकारियों से शिकायत कर दी गई है।

उल्लेखनीय है कि किसी भी कालोनी को काटने से पूर्व पुडा व अन्य संबंधित विभागों से स्वीकृति लेना जरूरी होती है। कालोनी काटने से पूर्व वहा लोगों के रहने के लिए पीने के पानी, पानी की निकासी, गलिया- नालियां, सीवरेज, वाटर पाइपें व पार्क आदि का प्रबंध करना जरूरी है। लेकिन इन काटी गई कालोनियों में किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया है।

इस संबंध में चेतीवाल की ओर से मागी गई जानकारी के तहत बताया गया है कि इस मामले में दो अधिकारियों पर आधारित डिवीजन बैंच गठित कर दिया गया है। चेतीवाल को 27 सितंबर को एसएसपी कार्यालय में बुलाया गया है जहा उनकी उक्त डिवीजन बैंच के दोनों अधिकारियों से वीडियो कान्फ्रेंस करवाई जाएगी।

फाजिल्का के कार फ्री जोन से हाईकोर्ट प्रभावित

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

जरूरी नहीं कि कोई बड़ा शहर ही छोटे शहरों के लिए नजीर पेश करे, छोटा शहर भी बड़े शहरों के लिए एक अच्छा रोल मॉडल पेश कर सकता है। यातायात नियंत्रण, प्रदूषण की रोकथाम व ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने के लिए फाजिल्का के घंटाघर चौक को कार फ्री जोन बनाया जाना पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को इतना भाया है कि माननीय उच्च न्यायालय ने इसका स्वयं संज्ञान लेते हुए पंजाब और हरियाणा को अपने शहरों की चुनिंदा जगहों तथा केंद्र शासित प्रदेश(यूटी) चंडीगढ़ को भी अपने चुनिंदा स्थान को कार फ्री जोन बनाने और उसमें आवागमन के साधन के तौर पर इको फ्रेंडली रिक्शा चलाने के लिए कहा है। गौरतलब है कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए नए ढंग के रिक्शा (ईको कैब) की शुरुआत भी फाजिल्का से ही की गई है।

उल्लेखनीय है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फाजिल्का में घंटाघर चौक पर स्थापित किए गए कार फ्री जोन तथा यहां चलाए नए व आधुनिक ढंग के ईको फ्रेंडली रिक्शा से प्रभावित होकर 29 अक्टूबर 2010 में स्वयं संज्ञान लेते हुए पंजाब, हरियाणा व केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में भी ईको कैब चलाने व ऐतिहासिक स्थलों को वाहनों के प्रदूषण व ट्रैफिक जाम से बचाने के लिए कार फ्री जोन बनाने के निर्देश दिए थे। 23 सितंबर, 2011(शुक्रवार) को मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि प्रदेश के 12 जिलों में 500 से अधिक ईको कैब चला दी गई हैं। कार फ्री जोन बनाने के भी प्रयास जारी हैं। वहीं चंडीगढ़ के सीनियर स्टैंडिंग काउंसिल संजय कौशल ने भी यूटी द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी, लेकिन हरियाणा द्वारा इस संबंध में कोई विशेष प्रयास न होने के चलते हाईकोर्ट ने हरियाणा की तरफ से पेश हुए नुमाइंदे को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के सेक्टर 17 को कार-फ्री जोन बनाने के लिए यूटी से प्लान भी मांगा है। इस मामले की आगामी सुनवाई 21 अक्टूबर निर्धारित की गई है।

Saturday, September 24, 2011

शहर का दिल बने नो व्हीकल जोन- Sector 17 Chandigarh and Ecocab

चंडीगढ़. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को 'शहर के दिल' यानी सेक्टर 17 को नो व्हीकल जोन में तबदील करने का सुझाव दिया है। जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस अजय तिवारी की खंडपीठ ने कहा कि प्रयोग के तौर पर सेक्टर 17 को पूरी तरह से वाहनों से मुक्त किए जाने की आवश्यकता है। सभी वाहन सेक्टर से बाहर खड़े किए जाएं। इसमें लाल बत्ती वाहनों को भी शामिल किया जाए। 

इसके बाद प्रत्येक व्यक्ति ईको कैब या ईको रिक्शा से सेक्टर 17 में घूमे। खंडपीठ ने कहा कि इसके लिए प्रशासन को एक कड़ी नीति बनानी होगी, जिसे कड़ाई से लागू भी करना होगा। हाईकोर्ट ने पंजाब व हरियाणा को भी ईको रिक्शा को प्रोत्साहित करने के लिए इस तरह का प्रयोग किसी एक शहर में करने का सुझाव दिया है। अदालत ने मामले पर 21 अक्टूबर के लिए अगली सुनवाई तय की है। 

खंडपीठ ने कहा कि जिस तरह चंडीगढ़ प्रशासन ने ड्रंकन ड्राइ¨वग को रोकने में सख्ती दिखाई और बेहतर नतीजे हासिल किए, इसी तरह नो व्हीकल जोन पर भी काम करने की जरूरत है। प्रशासन यदि मुस्तैदी दिखाए तो शहर के दिल को पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त किया जा सकेगा। चंडीगढ़ इस मामले में दूसरे शहरों के लिए एक उदाहरण बन सकता है और अन्य शहरों में भी इस तरह के प्रयोग करने का रास्ता बन सकेगा। ऐसे में प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इससे शहर में ईको रिक्शा के चलन को भी बल मिलेगा जो पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण की दिशा में एक कारगर उपाय होगा। 

नाइट फूड स्ट्रीट: महंगा खाना, मात्रा भी कम

सेक्टर 14 में शहर के एकमात्र नाइट फूड स्ट्रीट में सुरक्षा की जिम्मेदारी चंडीगढ़ पुलिस के एक कांस्टेबल के सिर है। ऐसे में रात को यहां खाना खाने वालों की सुरक्षा की जिम्मेदारी को लेकर पुलिस कितनी सतर्क है, इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है। हाईकोर्ट में यह जानकारी अदालत के सहयोगी (एमिक्स क्यूरी) वकील अतुल लखनपाल ने अपनी रिपोर्ट में दी है।

लखनपाल ने रिपोर्ट में कहा कि खाने की कीमत ज्यादा है, जबकि मात्रा कम। जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस अजय तिवारी की खंडपीठ ने इसके बाद एमिक्स क्यूरी व प्रशासन की तरफ से एक साथ दौरा कर रिपोर्ट देने का निर्देश देते हुए मामले पर 21 अक्टूबर के लिए अगली सुनवाई तय की है। 

इससे पहले नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर ललित सिवाच ने जवाब दायर कर कहा था कि नाइट फूड स्ट्रीट पर गठित कमेटी ही खाने के दाम व रखरखाव का काम करेगी। शहर का सर्वे कर पाया गया कि कुल 5550 रेहड़ी-फड़ी वाले सड़क के किनारे अपना काम कर रहे हैं। 500 लाइसेंस धारक फड़ी वाले भी हैं। 

ऐसे में नाइट फूड स्ट्रीट को रात में खाना खाने के लिए एक शानदार जगह के रूप में विकसित किया जाएगा। पहले हाईकोर्ट ने कहा था कि नाइट फूड स्ट्रीट पर प्रशासन से पॉलिसी बनाने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन प्रशासन खरा नहीं उतर रहा। अदालत ने पूछा कि अक्टूबर 2010 से चंडीगढ़ प्रशासन इस पर पालिसी बनाने में नाकाम क्यों है? लग रहा है कि अधिकारियों के पास इस काम के लिए समय नहीं है।

फाजिल्का की 27 कॉलोनियां अवैध घोषित

आरटीआई के तहत कालोनियों की स्वीकृति संबंधी मांगी गई जानकारी के तहत बठिंडा डेवलपमेंट अथॉरिटी बठिंडा ने फाजिल्का की 27 कॉलोनियों को अवैध घोषित कर दिया। इस खुलासे से कालोनियां काटने वाले व इन कालोनियों में प्लाट खरीदने वालों में हड़कम्प मच गया है। इस खुलासे के बाद इन कालोनियों को काटने वालों के विरुद्ध बीडीए ने मामला दर्ज करने के लिए शिकायत कर दी है। 
कैसे हुआ खुलासा |

खटीक मोहल्ला के आरटीआई कार्यकर्ता अमरनाथ चेतीवाल ने आरटीआई एक्ट के तहत बठिंडा डेवलपमेंट अथॉरिटी से फाजिल्का व इसके अधीन पड़ते क्षेत्रों में काटी गई कालोनियां संबंधी जानकारी मांगी थी। इस सूचना के तहत जानकारी दी गई कि फाजिल्का व इसके साथ लगते ग्रामीण क्षेत्र में काटी गई 27 कालोनियां अनधिकृत हैं। बीडीए द्वारा इन 27 कालोनियों को काटने वाले संचालकों के नामों का भी खुलासा किया गया है। इन अवैध कालोनी काटने वालों में भाजपा के पूर्व मंडलाध्यक्ष की पत्नी व एक वरिष्ठ अध्यापक का नाम भी शामिल है। सबसे अधिक अवैध कॉलोनियां गांव पैंचांवाली व रामपुरा की हद में काटी गई हैं। 
कॉलोनी काटने के लिए शर्तें|

कोई भी कालोनी से काटने से पहले कुछ नियम होते हैं जिन्हें पूरा करना होता है। सिविल इंजीनियर नवदीप असीजा के अनुसार कालोनी काटने से पूर्व रहने वाले लोगों के लिए पीने के पानी, पानी की निकासी, गलियां, नालियां, सीवरेज व पार्क का प्रबंध होना चाहिए। इसके अलावा कालोनी काटने से पूर्व कालोनी काटे जाने वाले स्थान के बारे में पुडा व अन्य संबंधित विभाग को लिखित रूप से बताना होता है, लेकिन इसके विपरीत बीडीए द्वारा अवैध घोषित की गई कालोनियों को काटते हुए इनमें से किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया गया है। 
प्रदेश सूचना आयुक्त सख्त|

इन अवैध कालोनियां काटने वालों के विरुद्ध कार्रवाई संबंधी प्रदेश सूचना आयुक्त ने कड़ा रुख अपना लिया है और पीपीएस गिल व बीसी नामक दो वरिष्ठ अधिकारियों पर आधारित डिवीजन बैंच गठित कर दिया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता चेतीवाल ने बताया कि उन्हें डिवीजन बैंच के दोनों अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए 27 सितम्बर को फिरोजपुर के जिला उपायुक्त कार्यालय में बुलाया गया है। (लछमण/पवन )

HC tells UT to declare at least one area a ‘no vehicle’ zone- Fazilka Ecocabs

Chandigarh In a significant direction, the Punjab and Haryana High Court today directed the Chandigarh Administration to declare at least one area of the city a 'no vehicle' zone. Also, Punjab and Haryana have been directed to identify a part of any one city for the same purpose.

These directions were passed during resumed hearing of a public interest litigation (PIL) arising out of a suo motu notice taken on a news item published by The Indian Express which had highlighted the concept and advantages of ecocabs. A related PIL, arising out of another suo motu notice published by a weekly on the issue of pollution, also came up for resumed hearing today.

The High Court had taken suo motu notice of the increasing pollution in the region due to increasing vehicular pressure. The division bench remarked that some areas should be totally banned for vehicular traffic.

Suggesting Sector 17 as an option for making a no vehicular zone, the Bench observed that parking could be allowed at corners of the Sector and only rickshaws or eco-friendly cabs could be allowed to ply. The Bench said that the restrictions should be enforced for all vehicles and no vehicle, including red beacon or even High Court vehicles, should be permitted to ply in such zones.

Appearing on behalf of the Chandigarh Administration, Senior Standing Counsel Sanjay Kaushal said that efforts are being made by the UT Administration to provide cheaper public transport to reduce vehicular pressure on roads.The Bench also directed the authorities to submit the status report in this regard at the next hearing while making it clear that the entire process would be on a trial basis only.

The counsels for Punjab and Haryana too submitted reports on promoting eco-friendly rickshaws. The reports read that Haryana had issued direction to all the municipal authorities to propagate these rickshaws.The counsel for Punjab informed the Bench that about 500 such eco-cabs were already functional in different districts of the state and rickshaw-pullers were being encouraged to use these.

Wednesday, September 21, 2011

Punjab announces ''Girdawri'' in flood affected areas

PTI | 10:09 PM,Sep 21,2011

Chandigarh, Sep 21 (PTI) Punjab Chief Minister Parkash Singh Badal today asked Revenue Secretary to direct concerned Deputy Commissioners to carry out ''Girdawri'' (revenue assessment) to assess the loss caused to crops by floods in order to disburse adequate compensation to affected farmers in Muktsar and Fazilka.He today visited ten flood affected villages in the Malout sub division of Muktsar district and eight villages in Fazilka district, said an official release.Badal also announced to depute a nodal officer in each flood affected village to compile a comprehensive report on the problems faced by the residents, damage caused to crops and house property due to recent floods.He also directed the officers of Food and Civil Supplies department to ensure immediate supply of ration to the affected families. The Chief Minister also asked the Chief Engineers of PWD and drainage departments to immediately undertake the repair of damaged roads and other public installations, besides de-watering of water logged areas.

http://ibnlive.in.com/generalnewsfeed/news/areas-in-north-east-delhi-face-power-cuts/831801.html

Monday, September 19, 2011

फर्जी नोटिकिफेकशन पर ढहाने वाले थे आशियाने!

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

करीब चार वर्ष पहले सेना की ओर से स्थानीय लोगों के आशियाने ढहाने के लिए नोटिस देने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। तब सेना ने डीसी के ड्राफ्ट नोटिफेकेशन का हवाला देते हुए यह नोटिस जारी किया था, लेकिन लंबे जद्दोजहद के बाद खुलासा हुआ है कि डीसी आफिस से कोई नोटिफिकेशन जारी ही नहीं हुआ था।

मामले में तारीख पे तारीख के बाद आखिरकार स्थानीय अदालत ने जब रिकार्ड पेश करने में आनाकानी कर रहे अधिकारियों के वारंट निकाले तो एक नहीं डीसी कार्यालय के तीनों सुपरिंटेंडेंट को पेश होना पड़ा।

आर्मी ने करीब चार साल पहले फिरोजपुर के तत्कालीन डीसी सतीश चंद्रा के 26 नवंबर 1996 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए आर्मी कैंट की चारदीवारी के नजदीक बसी कालोनी के बाशिंदों के आर्मी के क्रस्ट की बाहरी सीमा से पांच सौ गज के दायरे में आने वाले मकानों को ढहाने की चेतावनी के नोटिस निकाले थे।

इससे डरे कालोनी वासियों ने विजय कुमार इत्यादि बनाम यूनियन आफ इंडिया केस स्थानीय अदालत में दायर कर उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को चैलेंज किया था। कालोनी निवासी एवं आरटीआई एक्टिविस्ट दीपक मुदगिल ने आरटीआई के जरिये जानकारी हासिल की डीसी कार्यालय की तरफ से सेना को उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन उपलब्ध ही नहीं है।

सुनवाई के दौरान स्थानीय अदालत में सेना अधिकारियों ने बयान दिया कि उन्होंने जिस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के आधार पर नोटिस जारी किए हैं, उसका असल रिकार्ड सेना ने नष्ट कर दिया है। इस पर अदालत ने कई बार डीसी कार्यालय के संबंधित अधिकारी को सम्मन भेजकर रिकार्ड पेश करने के लिए कहा। रिकार्ड नहीं पेश किया गया तो माननीय न्यायाधीश गुरबीर सिंह ने डीसी कार्यालय फिरोजपुर के सुपरिंटेंडेंट धर्मपाल, यशपाल ग्रोवर, विपिन शर्मा के 16 सितंबर 2011 को पेश होने के जमानती वारंट निकाल दिए। उसका असर ये हुआ कि तीनों अधिकारियों को अपनी शाखा के अधिकारी के साथ पेश होना पड़ा।

आरटीआई एक्टिविस्ट मुदगिल ने कहा कि इस पेशी ने सारे मामले का रुख ही बदलकर रख दिया है। डीसी कार्यालय की तरफ से दिए गए बयान में कहा गया है कि उक्त ड्राफ्ट नोटिफिकेशन डीसी कार्यालय से जारी ही नहीं किया गया। इससे सेना के अधिकारियों द्वारा कालोनी के दर्जनों परिवारों के मकान ढहाने के लिए निकाले नोटिस पर सवालिया निशान लगा दिया है। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को मुकर्रर की गई है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_8226175_1.html

Sunday, September 18, 2011

Lessons on a white board - Vijay Gupta of Fazilka

It is 9.30 a.m. and Vijay Gupta, teacher of English and social sciences, waits in the corridor of the Government Senior Secondary School in Karni Khera village in Fazilka, Punjab. He is here from the neighbouring Arniwala village, close to the Indo-Pak border, to deliver a guest lecture on disaster management and drug de-addiction. He has with him a laptop, a projector and a few other things that he has brought along for his audio-visual lecture. But there is a electricity failure and the generator is acting up too, so Gupta decides to wait. "These are the usual problems in government-run schools, so we learn to be patient," he says.

But what makes Gupta stand out in this middle of such ordinariness is his unusual teaching methods. This government school teacher in Arinwala village lifts drab lectures in government-run schools using Powerpoint slides and CDs, audio-visual aids that are largely unheard of in these parts and evokes curiosity among students. Last year, Microsoft chose him for its Innovative Teachers Leadership Award—he was among the six teachers from India who were awarded and sent to Brazil to learn advanced teaching skills. The state government too awarded Gupta last year and he now inspires other teachers to improvise their teaching skills through information technology.

At the Karni Khera village school, students of class 11 and 12 sit in a hall to listen to Gupta's lecture. A few students of class 10 peer inside, look at the projector and screen and ask if they can join in. "We have never seen lessons being taught on a projector. Lectures are normally boring," says Jasdeep Singh, a class 10 student.

In between his lecture, Gupta says, "When I started teaching in the Arniwala school in 2001, I was discouraged from using teaching aids, but it bothered me that the faces of children looked blank. So I designed chapters on flex sheets and also gave handouts to students. From 2003, I started using the Internet to teach students. I would also get students to record their sentences on the cellphone and play it back to correct their pronunciation. I myself did a pronunciation course from an institute in Chandigarh so that I could correct my students' diction."

Gupta is also planning to make digital textbooks for classes VI to X. "A lot of my students don't have computers at home, but they have CD players. With digital textbooks, they will enjoy their lessons better," he says.

Saturday, September 3, 2011

BSF enforces water wing for safeguarding borders

FAZILKA: 3.09.11-Flooding of border villages, situated along the Satluj embankment area has damaged barbed fencing along the international Indo-Pak border and to thwart any intrusion bid through the river water,BSF has enforced its water wing to keep round-the-clock patrolling in the river running along the border in Fazilka sector. The water wing consists fiber motor boats loaded with floodlights installed on them, weapons and other necessary equipment needed for patrolling.The headquarters of Punjab frontier has also increased the number of BSF personnel in the Fazilka sector. 

"Boat nakas have been laid at strategic points. Also, more temporary observation posts have been set up to check intrusion as the water has spread to some fields along the international border," said Vimal Satyarthi, DIG, BSF. Due to heavy rains in the catchment areas and release of excessive water from the Bhakra Nangal dam into the Satluj, it has remained swollen for most of the time during the monsoon and flooded the fencing in various pockets of the border belt. 

Even in certain pockets, floodwater made the Indo-Pak Zero Line disappear in the Fazilka district. Sources said though fencing wire did not suffer much damage in a large area of the border, there were certain pockets, where it had suffered irrevocable damage and would need replacement. Sources said fencing had been affected in various areas falling under Fazilka sector border withPakistan besides Dilawar Bhaini border observation post was inundated with floodwater. Himmat Singh, inspector general, BSF, Punjab frontier, said the water wing had been doing an arduous task but commendable job to safeguard the border. 

At the time of floods, boat nakas cannot be put up but boat patrolling continues, he added. He said water wing of the BSF has been trained specifically to meet all type of challenges during floods. Rajesh Gupta, DIG, BSF, Ferozepur sector, said there was no damage to the existing fencing wire along the international Border under his jurisdiction. 

Thursday, September 1, 2011

प्रशासन के साथ अन्य संगठन भी जुटे राहत कार्य में - Fazilka

बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को निकालने आए एनडीआरएफ के जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए डीसी बसंत गर्ग, एडीसी चरन देव सिंह मान, एनडीआरएफ के कमांडेंट आरके वर्मा भी मौके पर पहुंचे। फोर्स के 21 जवानों सहित इंस्पेक्टर यशपाल व सब इंस्पेक्टर सुनील खुन्नू के नेतृत्व में माल विभाग के रैप रेशम लाल छाबड़ा, फोर्स के राजपाल सिंह और बृज मोहन आदि ने बाढग़्रस्त ग्रामीणों की सहायता की। इसके अलावा धार्मिक और राजनीतिक संगठन भी लोगों की सहायता में लगे हुए हैं।
सच्चा सौदा मिशन ने शुरू किए राहत शिविर : बाढ़ में घिरे ग्रामीणों की सहायता के लिए डेरा सच्चा सौदा मिशन की ओर से गांव झंगड़ भैणी में स्थायी राहत शिविर शुरू कर दिया गया है। राहत के लिए बुधवार को गांव रेते वाली भैणी, गुलाबा भैणी, राम सिंह वाली भैणी और आसपास की ढाणियों के ग्रामीणों को लंगर व मवेशियों के लिए हरा चारा वितरित किया गया। इसके अलावा सेवादारों की ओर से गांव को पानी से बचाने के लिए बांध बनाने का कार्य भी जारी रहा। ब्लाक कांग्रेस कमेटी शहरी और देहाती द्वारा पूर्व विधायक डॉक्टर महेंद्र रिणवां ने नेतृत्व में बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों के मवेशियों के लिए हरा चारा नई अनाज मंडी से रवाना किया। इस अवसर पर यूथ कांग्रेसी नेता सिद्धार्थ रिणवां, देहाती अध्यक्ष देस राज जंडवालिया, शहरी अध्यक्ष सुरिंदर कालड़ा, रोहित रिणवां, गोपी राम पूर्व सरपंच, संदीप धूडिय़ा, हरमिंद्र सिंह दुरेजा, अशोक वाट्स, बाऊ राम पार्षद, डॉक्टर केके सेठी महासचिव, योगेश शर्मा, रिंपल धमीजा, शैंक पांडे, योगराज, अशोक सोनी, काली चौधरी, कुनाल, करण, अशोक नागवंशी, प्रिंस, कृष्ण आदि हाजिर थे। डॉक्टर रिणवां ने प्रभावित गांवों में लोगों को बांध की सुरक्षा के लिए डीजल भी मुहैया करवाया।
सड़क के साथ बने गड्ढे : गांव धरमू वाला, सुखेरा बोदला, फत्तूवाला और लाधूवाला की रेत खदानों में गहरे गड्ढ़े पड़ गए है। मंगलवार रात आई बरसात से खदानों से निकट से गुजरना मुश्किल हो गया है। गुरदीप सिंह, खुशियां बाई, बूढ़ सिंह, जोगिन्द्र सिंह, कुलदीप सिंह, सुनील कुमार और मुंशी राम ने बारिश से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजे की मांग की।
डीसी ने संस्थाओं से की बैठक 
बाढ़ पीडि़तों की सहायता के लिए आज डीसी बसंत गर्ग व एडीसी चरन देव सिंह मान ने समाजसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों से बैठक की। इस मौके पर उन्होंने बाढ़ पीडि़तों की सहायता की लिए आगे आने की अपील की। मौके पर अर्जुन देव, अश्वनी कुमार, जतिंदर सिंह, सुभाष चंद्र, नत्थू राम, शाम लाल, अशोक कुमार, विनीत कुमार, सुरिंदर कुमार आदि मौजूद थे। 
40 गांवों के लोग अभी नहीं जुड़ पाए एक-दूसरे से 
मंडी लाधुका के निकट ड्रेन का पुल को जोडऩे के लिए ठेकेदारों की ओर से आज तीसरे दिन भी कोई प्रयास नहीं किया। जिस कारण 40 गांवों के लोग शहरों से टूटे रहे। रंगीला गांव के पूर्व सरपंच कर्म सिंह, ज्ञान सिंह, एससी बीसी कर्जामुक्ति संघर्ष समिति के प्रदेश महासचिव भगवान दास इटकान, मास्टर हंस राज और गुरपिंद्र सिंह आदि ने प्रशासन से संपर्क जुडऩे तक कश्ती की मांग की है।

संशोधित.. पंजाब.. फाजिल्का : खुशामदीद! 64 साल बाद ईद

अमृत सचदेवा, फाजिल्का

ईद का मुबारक मौका..एक-दूसरे के गले लगते लोग.. मुस्लिम भाइयों को मुबारकबाद देते हिंदू व सिख..। देखने में भले ही सब कुछ सामान्य लग रहा हो, पर यह खुशी सामान्य नहीं थी। हो भी क्यों, आखिर आजादी के बाद यहां पहली बार ईद की नमाज जो अदा की गई थी।

हम बात कर रहे हैं यहां बार्डर रोड स्थित जामा मस्जिद की, जहां मुस्लिम भाइयों ने आजादी के बाद पहली बार ईद की नमाज अदा की। दरअसल, देश के बंटवारे के बाद यहां से मुस्लिम भाइयों के पलायन के बाद मस्जिद पर यहां रहने वाले हिंदू परिवारों ने कब्जा कर लिया। पिछले 13 सालों से इस पर एक हिंदू कामरा परिवार का कब्जा था।

वैसे तो वक्फ बोर्ड बराबर इस पर अपना दावा जताता रहा, लेकिन वह इस मसले को भाईचारे से हल करने का ही पक्षधर था। यही कारण रहा कि वक्फ बोर्ड ने इस मामले को लेकर कभी अदालत की शरण नहीं ली। वक्फ बोर्ड का यह भरोसा आखिरकार रंग लाया और आपसी बातचीत के बाद 31 दिसंबर, 2010 को कामरा परिवार ने खुशी-खुशी मस्जिद मुस्लिम भाइयों को सौंप दी।

इसी दिन पंजाब वक्फ बोर्ड के धार्मिक मामलों की कमेटी के चेयरमैन मोहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी के नेतृत्व में आजादी के बाद यहां पहली बार नमाज अदा की गई थी और आज पहली बार ईद मनाई गई। ईद की नमाज अदा करने के बाद मस्जिद के इमाम मुहम्मद कमरुद्दीन अत्तारी अपनी खुशी अकेले समेट नहीं सके और पहुंच गए भाईचारे के बीच। खुशी से लबरेज उनके होंठ कुछ कहना चाहते हैं, पर बोल बाहर नहीं आ आते। भावनाएं उमड़ती हैं और बस इतना कहते हैं.. शुक्रिया भाइयों। थोड़ा रुक कर फिर कहते हैं कि हिंदू भाइयों ने मुसलमानों की भावनाओं की कद्र करते हुए मस्जिद का कब्जा मुस्लिम भाईचारे को सौंपा है। अब बस यही दुआ है कि यह भाईचारा इसी तरह सलामत रहे।

इस एतिहासिक मौके पर नमाज अदा करने पहुंचे मुस्लिम भाइयों ने सभी संप्रदायों का भाईचारा यूं ही बने रहने, हिंदुस्तान में अमन चैन कायम होने और हर तरफ शिक्षा व ज्ञान का प्रकाश फैलने की दुआ मांगी। अपनी भावनाएं जताते हुए कहा कि अगर इसी तरह हर जगह लोग भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए आपसी मसले हल कर लें तो समाज में हमेशा अमन-शांति बनी रहेगी।

इस अवसर पर मुस्लिम भाइयों के अलावा मस्जिद के एक हिस्से पर काबिज कामरा परिवार के सदस्य बिट्टू कामरा व उनके साथियों ने भी गले मिल उन्हें ईद की मुबारकबाद दी। कामरा परिवार ने ही भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए मस्जिद के लिए अपनी मर्जी से वह जगह छोड़ी है।